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क्या ईश्वर वास्तव में अस्तित्व में हैं? प्रमाण, तर्क और उन्हें जानने का मार्ग।

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क्या ईश्वर वास्तव में अस्तित्व में हैं? प्रमाण, तर्क और उन्हें जानने का मार्ग बहुत से लोग यह जिज्ञासा रखते हैं कि क्या ईश्वर वास्तव में अस्तित्व में हैं? यदि हाँ, तो क्या इसके कोई प्रमाण या तर्क हैं? नीचे ईश्वर के अस्तित्व को प्रमाणित करने के कुछ प्रमुख तर्क दिए गए हैं। ईश्वर के अस्तित्व के दार्शनिक और तर्कसंगत प्रमाण 1. ओन्टोलॉजिकल (सत्तात्मक) तर्क सौरमंडल सूर्य के केंद्र में स्थित है और इसमें नौ ग्रह, लगभग 174 उपग्रह (चंद्रमा), तथा लगभग आठ लाख क्षुद्रग्रह और धूमकेतु शामिल हैं। यह सौरमंडल विशाल ब्रह्मांड का केवल एक छोटा-सा भाग है। ब्रह्मांड अद्भुत संतुलन के साथ कार्य करता है — ग्रह, तारे और आकाशगंगाएँ निश्चित गणितीय नियमों के अनुसार अपनी कक्षाओं में गतिशील रहती हैं। इस प्रकार की अद्भुत व्यवस्था संकेत देती है कि कोई महान नियोजक या सर्वोच्च गणितज्ञ अवश्य है, जिसने इस ब्रह्मांडीय प्रणाली की रचना की और उसे संचालित कर रहा है। वही सत्ता, जो पृथ्वी के वायुमंडल में संतुलन बनाए रखती है और जीवन की निरंतरता सुनिश्चित करती है, हम उसे ईश्वर कहते हैं। 2. योजना और वास्तुकला सिद्धांत ब्रह्मांड एक अद्...

The gist of the Bhagavad Gita & the Srimad Bhagavatam.

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Shastra (शास्त्र) &  Scripture    Shastra (शास्त्र) - A sacred and authoritative text which instructs, guides, and disciplines beings through knowledge, showing the right way of living in harmony with Dharma. Shastra = Systematic knowledge + moral conduct & discipline. Scripture = Sacred revelation + divine authority. धर्मदीपाय सत्यग्रन्थपाठः शृणुत भक्तगण एतद् वचनम्,- अप्रमाणिकग्रन्थान् मा पठ कदाचन। एतेषु सर्वेषु ग्रन्थेषु विद्यते अज्ञानता,  तस्य प्रसारे नश्यति धर्मस्य शुद्धता। 💧 मन्त्र–यज्ञ–पूजा–कथा ब्रह्मणा आरम्भितो मन्त्रः ब्रह्मणैव समापितः । स एव श्रेष्ठो मन्त्रः सर्वमन्त्रेषु कीर्तितः ॥ ब्रह्मणा आरम्भितो यज्ञः ब्रह्मणैव समापितः । स एव श्रेष्ठो यज्ञः सर्वयज्ञेषु कीर्तितः ॥ ब्रह्मणा आरम्भिता पूजा ब्रह्मणैव समापिता । सा एव श्रेष्ठा पूजा सर्वपूजासु कीर्तिता ॥ ब्रह्मणा आरम्भिता कथा ब्रह्मणैव समापिता । सा एव श्रेष्ठा कथा सर्वकथासु कीर्तिता ॥ ब्रह्मणा= ब्रह्मन् + तृतीया एकवचन ब्रह्मन्- अर्थः : परं ब्रह्म/परम ब्रह्म 💧 धर्म-तत्त्वज्ञानम्। यो जीवः न जानाति धर्मस...