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जाग्रत, स्वप्न, सुषुप्ति और तुरीय अवस्था:

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जाग्रत, स्वप्न और सुषुप्ति भारतीय वेदांत दर्शन में चेतना के तीन प्रमुख अवस्थाएँ मानी जाती हैं। इन्हें "अवस्था त्रय" कहा जाता है। अद्वैत वेदांत और मंडूक्य उपनिषद में इनका विशेष रूप से वर्णन किया गया है। जाग्रत, स्वप्न,  सुषुप्ति और तुरीय अवस्था: 1. जाग्रत अवस्था (Wakeful State) यह वह अवस्था है जिसमें हम बाह्य जगत का अनुभव करते हैं। जाग्रत अवस्था में जीव स्वयं को स्थूल शरीर से पहचानता है तथा बाह्य इन्द्रियों के माध्यम से स्थूल वस्तुओं का अनुभव करता है। इस अवस्था में जीव को विश्व कहा जाता है। इस अवस्था में हमारी इंद्रियाँ सक्रिय रहती हैं और मन बाहरी वस्तुओं से जुड़ा रहता है। इस अवस्था में व्यक्ति कर्म करता है और उनके फल भोगता है। 2. स्वप्न अवस्था (Dream State) इस अवस्था में बुद्धि जाग्रत अवस्था से प्राप्त वासनाओं (संस्कारों) के साथ कर्ता की भूमिका ग्रहण करके सक्रिय होती है। इस अवस्था में इन्द्रियाँ निष्क्रिय रहती हैं। अज्ञान, इच्छा और पिछले कर्मों के प्रभाव में, जाग्रत अवस्था के संस्कारों से युक्त मन विभिन्न विषयों का निर्माण करता है। यह वह अवस्था है जिसमें व्यक्ति जाग्रत अवस्था...

ईश्वर प्राप्ति के लक्षण।

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  Siśuṁ jajñānaṁ haraya taṁ mṛijanti śumbhanti vahina marut gaṇena: kavir gīrbhiḥ kāvyena kavir sant somaḥ: pavitram aty eti rebhan: Rigveda Mandala 9, Sukta 96, Mantra 17 ईश्वर प्राप्ति के लक्षण। ईश्वर प्राप्ति (ईश्वरप्राप्ति) के कुछ सामान्य लक्षण होते हैं, जो विभिन्न धर्मों और आध्यात्मिक मार्गों के अनुसार भिन्न हो सकते हैं। हालांकि, कुछ सामान्य लक्षण इस प्रकार हैं— 1.भगवान का नाम लेते ही आँखों से आँसू छलक पड़ते हैं, आवाज भर आती है, और शरीर भक्ति के आनंद से पुलकित हो उठता है।   2.अहंकार समाप्त हो जाएगा। अखंड शांति और आनंद की अनुभूति होगी। 3."असीम प्रेम और करुणा का अनुभव होगा। भगवान की शरण में मनन और चिंतन करने से अश्रु बहने लगेंगे।" 4. भगवान का मनन और चिंतन प्रबल होगा, फलस्वरूप अन्यमनस्कता आएगी। सांसारिक आसक्तियों (माया-मोह) से मुक्ति मिल जाएगी। 5.चेतना ऊँचे स्तर पर पहुँच जाएगी और समभाव विकसित होगा। 6.सुख-दुख, जय-पराजय, लाभ-हानि—सब कुछ समभाव से स्वीकार करने की क्षमता विकसित होगी। 7.आत्म-साक्षात्कार और ईश्वर का प्रत्यक्ष अनुभव होगा। 8.जो व्यक्ति ईश्वर को प्राप्त करता है, वह क...